भारत आजादी के 75 वर्ष पूरे होने पर अमृत महोत्सव का आयोजन कर रहा है। भारत को 15 अगस्त 1947 को आजादी प्राप्त हुई थी। आजादी के बाद से भारतीय हर क्षेत्र में प्रगति कर रहे हैं। बात करें खेल जगत की तो भारतीय ने खेल के हर क्षेत्र में नया इतिहास बनाया है। मौजूदा समय में क्रिकेट को एक लोकप्रिय खेल माना जाता है। हर गली नुक्कड़ पर आपको क्रिकेट प्रेमी नजर आएंगे।
भारत में इस खेल की लोकप्रियता बहुत ही ज्यादा है। आजादी के समय भारतीय क्रिकेट टीम इतनी मजबूत नहीं थी लेकिन अब दौर बदल चुका है। भारतीय टीम अब विश्व की मजबूत क्रिकेट टीम में से एक है। इस लेख में हम क्रिकेट के कुछ स्वर्णिम पलों की बात करने वाले हैं और हम जानेंगे कि भारतीय टीम ने कहां से कहां तक का दौर पूरा किया है।
1971 में इंग्लैंड को उसके घर में धूल चटाई:
भारत और इंग्लैंड के बीच पहला मैच 1932 में हुआ। उस नहीं कि भारतीय टीम इतनी मजबूत नहीं थी। और टीम को हार का मुंह देखना पड़ा। लगातार हो रही हार के बाद भारतीय टीम ने खेल में अपना रुतबा बनाना शुरू किया और 1971 में एक अलग ही रूप में भारतीय क्रिकेट टीम सामने आई। भारतीय टीम ने इंग्लैंड को उसी की धरती पर धूल चटाई और यह साबित कर दिया कि भारतीय टीम किसी भी टीम को मात देने में सक्षम है। भारत ने इंग्लैंड टीम को 4 विकेट से मात देते हुए द ओवल के मैदान में विश्व क्रिकेट में अपनी एक अमिट छाप छोड़ दी।
1983 में विश्व कप को हासिल किया :
साल 1983 में भारतीय टीम ने विश्व कप जीतकर एक नया इतिहास दर्ज किया। भारतीय टीम ने कपिल देव की अगुवाई में वेस्टइंडीज टीम को शिकस्त देते हुए विश्वकप पर कब्जा किया। भारत दूसरी टीम थी, जिसे विश्व चैंपियन बनने का गौरव मिला था। इस जीत के बाद भारतीय क्रिकेट टीम का रुख ही बदल गया। भारतीय टीम की विश्व स्तर पर छवि में सुधार हुआ और विपक्षी टीम भारतीय टीम के मजबूत मुकाम से घबराने लगी।
2007 टी20 विश्व कप
2007 में पहली बार हुए टी-20 विश्व कप में महेंद्र सिंह धोनी की अगुवाई में भारतीय युवा टीम ने शानदार प्रदर्शन करते हुए यह खिताब अपने नाम दर्ज किया। दक्षिण अफ्रीका में हुए इस टूर्नामेंट में टीम इंडिया ने फाइनल में पाकिस्तान की टीम को मात देते हुए यह चैंपियनशिप अपने नाम की। इस दौर तक भारतीय टीम विश्व की एक मजबूत टीम बन चुकी थी। क्रिकेट के सबसे छोटे फॉर्मेट का चैंपियन बनने के साथ ही भारत ने यह साबित कर दिया था कि भारतीय टीम हर फॉर्मेट में विपक्षी टीम को मात देने में माहिर है।
2011 वनडे विश्व कप की चैंपियनशिप :
2007 में T20 विश्व कप का किताब हासिल करने के बाद भारतीय टीम ने 2011 में वनडे विश्व कप में भी अपना झंडा फहराया। 28 साल बाद टीम इंडिया दूसरी बार विश्व विजेता बनी थी। और 4 साल के अंदर दूसरा विश्व कप जीतकर इतिहास रच दिया था। इसी जीत के बाद ही आस्ट्रेलिया की लगातार हो रही जीत की डोर टूट गई थी। अब भारत को बड़े टूर्नामेंट की टीम माना जाने लगा था।
2013 चैंपियंस ट्रॉफी जीती
साल 2013 में भारत ने इंग्लैंड को उसके घर में मात देते हुए चैंपियंस ट्रॉफी अपने नाम की। इस टूर्नामेंट में जीत के साथ ही धोनी को क्रिकेट जगत का सबसे बेहतरीन कप्तान माना जाने लगा। इंग्लैंड की धरती पर भारतीय टीम अब जो बेहतरीन प्रदर्शन देखने को मिला वह बहुत ही लाजवाब था। धोनी दुनिया के एकमात्र कप्तान थे, जिन्होंने तीन अलग-अलग ICC टूर्नामेंट जीते थे।
इन कप्तानों ने किया कमाल
कपिल देव
कपिल देव की कप्तानी में भारतीय टीम पहली बार विश्व चैंपियनशिप हासिल करने में कामयाब हुई थी। क्रिकेट जगत का यह एक बड़ा मुकाम था जिसके बाद भारतीय क्रिकेट की तस्वीर ही बदल गई। भारतीय क्रिकेटरों के लिए यह एक सुनहरा मौका था। जो उन्हें सामने लेकर आया। जो भारतीय खिलाड़ी अभावों में रहकर देश के लिए खेलते थे, उन्हें पैसा मिलने लगा। देश के युवाओं में क्रिकेट के प्रति एक अलग ही उत्साह जागा और कई युवा क्रिकेट का अपने करियर के रूप में चयन करने के लिए तैयार हुए। इसके बाद तो खिलाड़ियों की लाइन सी लग गई और देश के हर कोने से एक से बढ़कर एक खिलाड़ी सामने आने लगे।
सौरव गांगुली
सौरव गांगुली की अगुवाई में भले ही भारत ने कोई आईसीसी ट्रॉफी नहीं जीती हो, लेकिन उन्होंने भारतीय क्रिकेट में लड़ने का जज्बा भरा। उनकी अगुवाई में टीम इंडिया ने आंखों में आंखे डालकर जवाब देना सीखा और विदेशों में भी मैच जीतने का साहस हासिल किया। इसके बाद इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया जैसी टीमों के लिए भी भारत को अपने घर में हराना आसान नहीं था। उन्होंने क्रिकेट जगत के लिए कई बेहतरीन प्रयास किए हैं जो बहुत ही प्रशंसा के काबिल है। सौरव गांगुली एक ऐसे खिलाड़ी रहे जो निडर होकर मैदान में उतरे।
महेंद्र सिंह धोनी
धोनी ने भारत को सात साल के अंदर 3 ICC ट्रॉफी जिताई और वो ऐसा करने वाले दुनिया के एकमात्र कप्तान हैं। धोनी की अगुवाई में भारत ने विश्व कप में कमाल का प्रदर्शन किया और दुनिया की सबसे मजबूत टीमों में से एक का दर्जा हासिल किया। यहीं से वो समय शुरू हुआ, जब सभी टीमें भारत से डरने लगीं और क्रिकेट जगत में टीम इंडिया की बादशाहत कायम हुई।
विराट कोहली
धोनी की अगुवाई में भारत ने सब कुछ हासिल किया था, लेकिन विदेशों में जाकर टेस्ट मैच में दबदबा बनाना अभी भी बाकी थी। विराट ने यही काम किया। उनकी कप्तानी में भारत ने पहली बार ऑस्ट्रेलिया में टेस्ट सीरीज जीती। हालांकि, भारत ने जिस कंगारू टीम को हराया, उसमें स्मिथ और वॉर्नर जैसे दिग्गज नहीं थे। इसके बाद रहाणे की कप्तानी में भारत ने दूसरी बार ऑस्ट्रेलिया में टेस्ट सीरीज जीती। इस बार ऑस्ट्रेलिया की टीम में सभी दिग्गज थे, जबकि पहले मैच में करारी हार के बाद विराट सहित कई बड़े खिलाड़ी टीम इंडिया में नहीं थे।
इस सीरीज जीत के बाद विदेशों में भी टीम इंडिया का रुतबा बना और हर टीम भारत से खौफ खाने लगी। विराट की कप्तानी में भारत ने विश्व टेस्ट चैंपियनशिप का फाइनल भी खेला, लेकिन खिताबी मुकाबले में न्यूजीलैंड से हार गई। अब रोहित की अगुआई में भारत का सपना दूसरी बार टी20 विश्व कप जीतने का है।