झूलन गोस्वामी को अपने क्रिकेट करियर के दौरान रही इस कमी का ताउम्र मलाल रहेगा, आखिरी इंटरनेशनल मैच से पहले किया खुलासा

भारत की दिग्गज महिला क्रिकेटर झूलन गोस्वामी को जिंदगीभर इस बात का मलाल रहेगा कि उन्होंने दो वर्ल्ड कप फाइनल खेले, लेकिन दोनों ही बार टीम इंडिया को शिकस्त का सामना करना पड़

झूलन गोस्वामी

भारत की दिग्गज महिला क्रिकेटर झूलन गोस्वामी लॉर्ड्स क्रिकेट ग्राउंड में अपना आखिरी अंतरराष्ट्रीय मैच खेलने की तैयारी कर रहीं। झूलन गोस्वामी ने इस दौरान अपने बारे में एक जानकारी साझा करते हुए कबूल किया कि उन्हें अपने करियर के दौरान रहने वाला सबसे बड़ा पछतावा क्या है। गोस्वामी ने कहा कि वह 2005 और 2017 के दो विश्व कप के दौरान भारतीय टीम का प्रतिनिधित्व कर चुकी है। जिसकी उन्हें खुशी भी है लेकिन कहीं ना कहीं उन्हें मलाल है कि उनकी इस प्रतिनिधित्व में भारतीय टीम ट्रॉफी जीतने में कामयाब नहीं हो पाई। उनके लिए यह बहुत ही अफसोस भरी बात है जिसका मलाल उन्हें ताउम्र रहेगा।

विश्व कप जीतना हर क्रिकेटर का सपना

39 वर्षीय दाएं हाथ की गेंदबाज ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा,

“मैंने दो विश्व कप फाइनल खेले हैं, लेकिन ट्रॉफी नहीं जीत सके। यह मेरा एकमात्र अफसोस है, क्योंकि आप चार साल तक विश्व कप की तैयारी करते हैं। बहुत मेहनत होती है। हर क्रिकेटर के लिए विश्व कप जीतना एक सपना होता है।”

गोस्वामी एकदिवसीय मैचों में 200 से अधिक विकेट हासिल करने वाली एकमात्र महिला क्रिकेटर है।
कुल 203 मैचों के दौरान वह 262 विकेट चटका चुकी है।

साल 2002 से अपना डेब्यू करने वाली झूलन गोस्वामी ने कहा कि,’ अपने खेल के शुरुआती दौर में उन्होंने कभी अंदाजा भी नहीं लगाया था कि वह इतने लंबे समय तक खेलेंगी। इस खेल को खेलना एक बेहतरीन अनुभव रहा। मैं इस खेल को खेलने के लिए भाग्यशाली हूं। ईमानदारी से कहूं तो, एक विनम्र पृष्ठभूमि और चकदाह (पश्चिम बंगाल के नादिया जिले में) जैसे छोटे से शहर से होने के कारण मुझे महिला क्रिकेट के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं थी।’

झूलन गोस्वामी के अनुसार भारत की कैप प्राप्त करना उनकी क्रिकेट करियर का सबसे यादगार पल रहा। उन्होंने कहा,

“मेरी सबसे अच्छी याद तब की है जब मुझे भारत की कैप मिली और मैंने पहला ओवर फेंका, क्योंकि मैंने कभी नहीं सोचा था (कि मैं भारत के लिए खेलूंगी )। यात्रा कठिन थी, क्योंकि मुझे हर दिन ट्रेनिंग के लिए लोकल ट्रेन से ढाई घंटे की यात्रा करनी थी।”

उन्होंने ये भी बताया, “1997 में, मैं कोलकाता के ईडन गार्डन्स में एक बॉल गर्ल थी, जहां मैंने अपना पहला महिला विश्व कप फाइनल देखा था। उस दिन से मेरा सपना भारत का प्रतिनिधित्व करने का था।”



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