सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के बाद सौरभ गांगुली और जय शाह का कार्यकाल 3 साल तक बढ़ना तय

BCCI

BCCI के पद को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी कि कूलिंग ऑफ पीरियड के प्रावधान को खत्म किया जाए। अब इस निर्णय पर विचार करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को बोर्ड के संविधान के लिए प्रस्तावित संशोधन को स्वीकार कर लिया, जो बोर्ड में एक पदाधिकारी को लगातार दो कार्यकाल के लिए पद धारण करने की अनुमति देगा।

भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने बुधवार को भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड में प्रस्तावित परिवर्तनों को स्वीकार कर लिया, जो मौजूदा अध्यक्ष सौरव गांगुली और सचिव जय शाह के कार्यकाल के विस्तार से जुड़ा हुआ हैं। गांगुली और शाह दोनों का पहला कार्यकाल इस महीने की शुरुआत में BCCI के संविधान में ‘कूलिंग ऑफ पीरियड’ क्लॉज के कारण खत्म हो गया था। इस नए प्रस्तावित संशोधन की सरकार होने के बाद सौरव गांगुली का 3 साल तक BCCI के अध्यक्ष पद पर बने रहना और जय शाह का भी अगले 3 साल तक BCCI सचिव के पद पर बने रहना लगभग तय हैं।

कूलिंग ऑफ पीरियड को लेकर लोढ़ा कमेटी ने 2018 में सिफारिश की थी। बाद में इन्हें तभी से लागू कर दिया गया। इनके मुताबिक, कोई भी पदाधिकारी पहले स्टेट बॉडी में 3 साल तक पद पर रहता है तो वह बोर्ड में 3 साल और पद पर रह सकता है। सुप्रीम कोर्ट की मंजूरी के बाद, कोई भी पदाधिकारी 3 साल स्टेट और 6 साल बोर्ड में किसी भी पद पर रह सकता है।

BCCI ने 2019 में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर तीन साल के कूलिंग ऑफ पीरियड के प्रावधान को खत्म करने की इजाजत मांगी थी।अब इसका फायदा सौरव गांगुली और जय शाह को मिलेगा वर्तमान समय में BCCI में प्रेसिडेंट सौरव गांगुली, जय शाह समेत पांच पदाधिकारियों ने बोर्ड और स्टेट बॉडी में 6 साल पूरे कर लिए हैं। सौरव गांगुली 23 अक्टूबर 2019 को BCCI के अध्यक्ष बने थे। इससे पहले वे 2014 में बंगाल क्रिकेट संघ के सचिव बने थे, फिर 2015 में उन्हें अध्‍यक्ष का पद मिला।

अब शीर्ष अदालत ने बुधवार (14 सितंबर) को अपने फैसले में कहा कि वह BCCI में एक पदाधिकारी को लगातार दो कार्यकाल के लिए पद धारण करने की अनुमति देगा, भले ही वे एक कार्यकाल के लिए राज्य संघ में पद पर हों।

BCCI के संविधान के अनुसार, एक पदाधिकारी को राज्य संघ या BCCI या दोनों संयुक्त रूप से लगातार दो कार्यकालों के बीच तीन साल की कूलिंग ऑफ अवधि से गुजरना पड़ता है। BCCI की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ से कहा कि देश में क्रिकेट का खेल काफी व्यवस्थित है। उन्होंने कहा कि BCCI एक स्वायत्त संस्था है और सभी बदलावों पर क्रिकेट संस्था की वार्षिक आम बैठक (एजीएम) में विचार किया गया।

BCCI को क्या आपत्ति है.?

BCCI

इस मामले में BCCI का कहना है कि कूलिंग ऑफ पीरियड किसी सदस्‍य के एक ही स्‍थान पर लगातार छह साल तक पद संभालने के बाद आना चाहिए, न कि स्टेट फेडरेशन या BCCI या दोनों को मिलाकर। मौजूदा संविधान के मुताबिक पदाधिकारी अगर राज्‍य संघ या BCCI या इन दोनों को मिलाकर छह साल का कार्यकाल पूरा करता है तो उसे कूलिंग ऑफ पीरियड में जाना होगा।


मौजूदा समय में गांगुली समेत 5 सदस्यों के 6 साल का कार्यकाल पूरा हुआ है

BCCI

वर्तमान समय में BCCI में प्रेसिडेंट सौरव गांगुली सहित पांच पदाधिकारियों ने 6 साल पूरे कर लिए हैं। गांगुली का कूलिंग ऑफ़ पीरियड जुलाई 2020 के बाद से शुरू हुआ था, वह 2014 में बंगाल क्रिकेट संघ के सचिव बने थे, जबकि 2015 में उन्हें अध्‍यक्ष का पद मिला। इसके बाद सितंबर 2019 में उन्‍हें दोबारा अध्‍यक्ष चुना गया था। इसके बाद वह 23 अक्टूबर 2019 से BCCI के अध्यक्ष हैं।
 

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